ആജ് കാ ശബ്ദ് ആവർത്തൻ ജഗദീഷ് ഗുപ്ത് മികച്ച കവിത പാനി ഗഹ്‌റ ഹൈ പർതാഹ് നഹി പടാ ഹു

                
                                                                                 
                            'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- आवर्तन, जिसका अर्थ है- चारो ओर घूमना या चक्कर लगाना, घुमाव, मथना, हिलाना। प्रस्तुत है जगदीश गुप्त की कविता- पानी गहरा है पर थाह नहीं पाता हूँ
                                                                                                
                                                     
                            

पानी गहरा है पर थाह नहीं पाता हूँ।
लहरों में अनचाहे लहर-लहर जाता हूँ।

कोलाहल धूल भरा तट कब का छोड़ चुका।
मन की दुर्बलताओं के बन्धन तोड़ चुका।
पर जाने क्या है —
जब गहरे में चलने को होता हूँ
ठहर ठहर जाता हूँ।
पानी गहरा है पर थाह नहीं पाता हूँ।

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2 മണിക്കൂർ മുമ്പ്

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